Saturday 3 July 2010

एक लम्बी रात रहस्मयी

धूमिल आकाश, सूर्य अस्तगामी
अलस मरुभूमि,सांझ बोझिल
प्रवासी विह्ग, अन्तरिक्ष विशाल
कुछ अवाक चेहरे, अनजान शहर
अज्ञात  भविष्य, बूँद बूँद स्मृति
देश,माटी,नदी,पहाड़,समुद्र,वर्षा
शरत, चन्द्रमा,और अश्रु घनीभूत
मौसमी पुष्प, सुवासित वातायन
बच्चों की किलकारियां, अतुलनीय
माँ की झिड़क, और आलिंगन
जन अरणय, रेल का गुज़ारना 
उदास आँखों से छुटता अपनापन
विमान का अकस्मात् उड़ना
और एक लम्बी रात रहस्मयी /
---शांतनु सान्याल

No comments:

Post a Comment